मे अंधा नही होना चाहता हूँ बोले Deion Jumah,Deion Jumah अपने बॉक्सिंग के खेल को जी जान से कही सालों तक लड़ रहे है। लेकिन दूसरी बार उनकी आँखों पर लगी चोट ने उन्हे बॉक्सिंग छोड़ने के बड़े फैसले पर उन्हे ला खडा कर दिया है। वे केवल 32 वर्षीय है पर उन्हे इस समय के लिए ये निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने अपने प्रेस मीट मे कहा कि ये उनके लिए बहुत ही दुखदाई था, पर ज़िन्दगी को आगे बढ़ाने के लिए कुछ कठिन फैसले लेने पड़ते है।
ये निर्णय मेरी ज़िन्दगी का सबसे कठिन निर्णय मे से एक था।
उन्होंने कहा कुछ समय के बाद आप लडाई करना बंद कर देते, ये फैसला कभी कबार आप खुद से लेते है,या कभी कबार आप अपनी किसी मजबूरी के कारण ऐसा फैसला लेते है। जब मे उठा और मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा था। कुछ हफ़्तो के बाद मे अपनी ज़िंदगी कि सबसे बड़ी लडाई लड़ने जा रहा था। वे अपने बहुत पुराने रायवल माइकल लवाल के साथ ब्रिटिश क्रूजरवेट टाइटल के लिए लड़ने वाले थे।
उसके लिए मेरी ट्रेनिंग बिल्कुल अच्छे से चल रही थी। उन्होंने प्रशिक्षण के समय कोई जोरदार मुक्का उनके आँखों के साइड मे लगा हुआ मेहसूस नही किया होगा। पर ट्रेनिंग के कुछ समय बाद उन्होंने ये मेहसूस किया कि वो अपने दाहिने आँखों से देख नही पा रहे है। उन्हे लगा कि उन्हे बहुत थकवाट के कारण ऐसा मेहसूस हो रहा है। Jumah ने दोपहर को थोड़ा आराम किया और उसके बाद वो एक लंबे रन पर भी गए।
पढ़े : Melvin Jerusalem और ऑस्कर कि लडाई को WBO ने किया अनिवार्य
उसके बाद वो जब रात को किसी कारणवश उठे तो उन्होंने पाया कि वो दाहिने आँख से बिल्कुल भी नही देख पा रहे है। जिसके बाद उन्होंने होस्पिटल का रुख किया।आठ घंटे बाद वह एक अलग रेटिना पर सर्जरी के लिए थियेटर में थे। इसके बाद उनके बॉक्सिंग कैरियर का मानो अंत ही हो गया। उन्हे ये प्रॉब्लम पहले भी आई थी, इस कारण से उन्होंने पहले एक रेटिना को अलग कर दिया था, इसका ऑपरेशन किया था और अपने बॉक्सिंग लाइसेंस को बहाल करने और खेल में वापसी करने के लिए एक लंबा अभियान चलाया था।
इसमें बहुत समय लगा, उस समय भी जब यह प्रक्रिया चल रही थी, मैं यह नहीं कहूंगा कि हम भाग्यशाली रहे लेकिन यह सिर्फ प्रयास था हमारा पूरा प्रयास और दृढ़ संकल्प। पहली बार ऐसा हुआ तो मैं अंधे होने से उतना नहीं डरता था जितना कि अपने मौके को गंवाने से डरता था, उन्होंने बताया। बल्कि मैं लड़कर अंधा हो जाता। दूसरी बार ऐसा हुआ तो मे काफी डर गया था, और मे अंधा नही होना चाहता था।